स्वप्न सिद्धि साधना

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स्वप्न सिद्धि साधना

स्वप्न सिद्धि साधना: गहरी नींद में देखे गए सपनां का विशेष अर्थ है। इसे शारीरिक और मनोवैज्ञानिक गतिविधियों से किसी भी सूरत में अलग नहीं किया जा सकता है। इस दौरान देखी जाने वाली घटनाएं, स्थान और समय के अनुसार उसके नक्षत्र-ग्रहों की स्थिति का आकलन किया जाता है। उसके बाद स्वप्न के आधार पर भविष्य का विश्लेषण संभव हो पाता है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि स्वप्न हमारे मस्तिष्क को सीधे तौर पर प्रभावित कर गूढ़ और विशिष्ट कार्यों की ओर ईशारा करते हं।

स्वप्न सिद्धि साधना

स्वप्न सिद्धि साधना

इस तरह से यदि किसी भी स्वप्न का ज्योतिषीय-विश्लेषण कर अगर भविष्य की स्पष्ट रूपरेखा तैयार की जा सकती है, तो तंत्र-मंत्र के जरिए स्वप्न की देवी का साधना-सिद्धि कर विविध समस्याओं से मुक्ति प्राप्ति के उपाय भी किए जा सकते हैं। यह कहें कि स्वप्न-सिद्धि से जीवन में आवश्यक वस्तु-विशेष की जानकारी सहजता से हासिल हो जाती है। खासकर खोई हुई वस्तुओं या लापता व्यक्ति के बारे मं प्राप्ति के सुराग प्राप्त किए जा सकते हैं, या फिर रोजमर्रे की जिंदगी में बुरे दिनों के जाने और अच्छे दिनों के आने की प्रबल संभावना का पता इस साधना से ही मिल पाता है।

देवी स्वप्नेश्वरी

सभी तरह के स्वप्नों की देवी हैं स्वप्नेश्वरी, जिन्हें प्रसन्न करने के लिए विधिवत अनुष्ठान और मंत्र जाप के प्रावधान तंत्र-शास्त्र में बताए गए हैं। स्वप्न तंत्र के अनुसार शिव को स्वप्नेश्वर और शक्ति को स्वप्नेश्वरी का नाम दिया गया है। यानि कि आदि देव और देवी ही स्वप्नों के जनक या अधिष्ठता हैं। आज तक कोई भी व्यक्ति इसके प्रभाव में आने और अनुभवों से वंचित नहीं रह पाया है। देवी स्वप्नेश्वरी सफेद परिधान में सफेद आसन पर सफेद फूलों की माला पहने हुए आसीन रहती हैं और अपने आभामंडल से किसी को भी मोहित कर लेती है। स्वप्नेश्वरी देवी को स्मरण करने के लिए मंत्र स्वप्नेश्वरी नमस्तुभ्यं फलाय वरदाय च, मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्व प्रदर्शय! का जाप करना चाहिए। इनकी मान्यता फल और वरदान देने वाली देवी के रूप में है। इनकी सिद्धि निम्न मंत्र-जाप के जरिए बताए गए विधि-विधान के साथ पूजा-आराधन की जाती है।

मंत्रः ऊँ ह्रांग क्लींग रक्तचामुंडे स्वप्ने कथ्य कथ्य शुभाशुभम ऊँ फट स्वाहा!!

विधि-विधानः स्वप्न साधना सिद्धि सामान्य पूजा-पाठ से अलग है, जिसे रात के समय सोने से पहले 11 बजे के बाद किया जाता है। दक्षिण दिशा की ओर मुख कर सामने देवी की तस्वीर रखें। ऊपर दिए गए मंत्र का 1100 बार बिस्तर पर ही बैठे-बैठे किसी भी तरह की माला से किया जाता है। इसकी शुरुआत करने और अंत होने पर देवी स्वप्नेश्वरी से प्रार्थन करें कि वे आपके स्वप्नों में दर्शन दें और सिद्धि हासिल हो सके। इसे कुल 21 दिनों तक करना होता है। इस तरह से मंत्र-सिद्धि की पूर्णाहुति 22वें दिन 10 वर्ष से कम उम्र की कुंवारी कन्य का भाजन करवा कर और दान-दक्षिणा देकर की जाती है। मंत्र सिद्धि हो जाने के बाद देवी से किसी समस्या का समाधान या पूछे गए प्रश्न  का उत्तर स्वप्न में ही मिल जाता है।

दूसरी विधिः किसी भी सोमवार की रात्री में अपने घर के एकांत कमरे में फर्श पर की जाने वाली विधि को करने से पहले आईए स्वप्न सिद्धि का एक और मंत्र जान लें। वह हैः-

ऊँ नमः स्वप्न चक्रेश्वरी, स्वप्ने अवतार-अवतार गतं, वर्तमानं कथ्य कथ्य स्वाहा!!

इस आराधना के लिए फर्श पर आसन लगाएं और अपने रखी गई देवी स्वप्नेश्वरी की तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाएं। देवी का स्मरण करते हुए धूप-दीप जलाएं और फिर सफेद फूल अर्पित करें,  नवैद्य के तौर पर बताशा आदि का भोग लगाकर दिए गए मंत्र का 21 माला जाप करें। जाप के बाद जलती हुई ज्योति का भस्म ललाट पर तिलक के रूप में लगाकर वहीं कंबल बिछाकर सो जाएं। इस विधि-विधान को कुल 61 दिनों तक करने से इसकी पूर्णाहुति 62वें दिन हवन से करें। इन दिनों में शाकाहारी भोजन ही करें। संभव हो तो सिर्फ फलाहार को अपनाएं।

इस तरह से सिद्धि के पूर्ण होते ही जिस किसी प्रश्न का उत्तर जानना है उसके लिए सोमवार की रात्री का समय ही चुनें। देवी की मन में कल्पनाकर दीप जलाएं, अगरबत्ती दिखाएं और 101 बार मंत्र का जाप कर मन मंे प्रश्न कहते हुए सो जाएं। उसी रात देवी स्वप्नेश्वरी से प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा।

तीसरी विधिः रविवार की रात्री में देवी स्वप्नेश्वरी की अच्छी तस्वीर के सामने धूप-दीप जलाते हुए सामान्य पूजा-अर्चना करने के बाद दिए गए मंत्र का जाप करने से देवी प्रसन्न होती हैं। और स्वप्न में आकर  समस्याओं का निदान बताती हैं। सपने में ही भविष्य की घटनाओं को भी स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। मंत्र हैः– ऊँ ह्रीं विचित्र वीर्य स्वप्ने इष्ट दर्शय नमः!

इस मंत्र का 51,000 बार जाप 11 दिनों में पूरा किया जाना चाहिए। मंत्र का स्पष्ट उच्चारण के बाद पूजा के स्थान पर ही सो जाएं।

मणिभद्र यंत्र प्रयोग

स्वप्न के माध्यम से समस्याओं से संबंधित सवालों का जवाब पाने के लिए मणिभद्र यंत्र का प्रयोग उपयुक्त बताया गया है। इसके लिए सही समय गुरुवार की अर्द्धरात्रि है। सरसों के तेल का दीपक प्रज्ज्वलित करें। इससे पहले उसमें छेद की कौड़ी डालकर नीचे दिए गए मंत्र का 1100 बार जाप करें। मंत्र हैः- ऊँ नमो मणिभद्राय चेटकाय, सर्व कार्य सिद्धेय मम स्वप्न, दर्शनानि कुरु कुरु स्वाहा!!

इस मंत्र के जाप के बाद लाल कनेर का फूल लें। उसे इसी मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित करें। इस तरह से अभिमंत्रित फूल को तांबे की छोटी सी डिब्बी में रखकर उसे तकिए के नीचे दबाए हुए सो जाएं। सोने से पहले डिब्बी को अपनी समस्या-संबंधी सवाल को सुना दें। ऐसा करने से मणिभद्र देव आपके प्रश्न का उत्तर स्वप्न में अवश्य देंगे।

भोलेनाथ स्वप्नेश्वर स्वरूप का दर्शन

यदि आप चाहते हैं कि आपकी वैसी किसी समस्या का समाधान मिल जाए, जिसका हल नहीं मिल रहा हो, तो इसके लिए भगवान शिव की आराधना करते हुए उनके भोलेनाथ स्वप्नेश्वर स्वरूप का दर्शन करना श्रेष्ठ उपाय हो सकता है। इसके लिए गुरु के सानिध्य में की जाने वाली साधना के बाद मिले संकेत समस्या के समाधान की ओर इशारा करते हैं। यह साधना तीन चरणों में संपन्न होती है। पहले चरण की शुरुआत सोमवार की आधी रात्री से शुरू होती है। इसमें स्नान के बाद आसन पर उत्तर दिशा की तरफ मुंह किए हुए बैठकर रुद्राक्ष की माला से नीचे दिए गए मंत्र का 1100 बार जाप करना होता है। इसका प्रारंभ बृहस्पति देव के पूजन के बाद भगवान शिव को साक्षी मानकर किया जाता है। अगले चरण के रूप में इस प्रक्रिया को कुल 11 दिनों तक दुहराई जाती है तथा इसकी पूर्ण सिद्धि बारहवंे दिन हवन के बाद हो पाती है। इसके जाप का मंत्र इस प्रकार हैः-

ऊँ नमो त्रिनेत्राय पिंगलाय महात्मने वामाय विश्वरूपाय स्वप्नाधिपत्ये नमः,

मम स्वप्ने कथ्यमे तथ्यम सर्व कार्य स्वशेषतः त्रिया सिद्धि विद्या तत् प्रसादानो महेश्वरे।

इस तरह से मिली सिद्धि के बाद किसी भी प्रश्न का उत्तर उस दिन 101 बार जाप कर पूछने पर मिल जाता है।